Saturday, July 1, 2017

मेगा मॉक ड्रिल

अगर आप दिल्ली मेट्रो में सफर करते हैं और स्टेशन पर पहुंचने पर अचानक आपका सामना अफरातफरी के माहौल से हो जाए, तो आपको कैसा लगेगा. दिल्ली में 11 मेट्रो स्टेशनों पर शनिवार को एक घंटे के लिए मुसाफिरों का सामना ऐसी ही स्थिति से हुआ.

कोई छात्र डेस्क के नीचे लेटा था, तो कोई अपनी कक्षा से बाहर की तरफ भाग रहा था। कहीं छात्र अपना सर ढंकते नजर आए तो कहीं सहपाठी की मदद करते हुए दिख रहे थे। जिले के 101 स्कूलों में बृहस्पतिवार को यह नजारा देखने को मिला। आप सोच रहे होंगे कि स्कूलों में कोई हादसा हो गया हो, जिसकी वजह से ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई, लेकिन जरा ठहरिये। यह कोई हादसा नहीं था बल्कि किसी आपदा से निपटने के लिए आयोजित मेगा मॉक ड्रिल का दृश्य था।
नोएडा, ग्रेटर नोएडा के 101 स्कूलों में सुबह 11 बजे मॉक ड्रिल की शुरुआत हुई। 11.20 मिनट पर अचानक स्कूलों की आपातकालीन घंटी बजी। छात्रों को भूकंप आने की सूचना दी गई। इसके बाद छात्र डेस्क के नीचे सर ढंककर बैठ गए और डेस्क को कसकर पकड़ लिया। भूकंप थमने के बाद छात्र खुले स्थान पर इकट्ठा हुए। ड्रिल करीब 45 मिनट तक चलता रहा। इस दौरान सभी स्कूलों में डिजास्टर मैनेजमेंट सेल के 108 वालंटीयर और एनडीआरएफ के इतने ही कर्मी मौजूद थे। ड्रिल के दौरान जिलाधिकारी एनपी सिंह स्कूलों में पहुंचे और जायजा लिया।
भूकंप से बचने की दी जानकारी :
मेगा मॉक ड्रिल के दौरान स्कूलों में छात्रों को भूकंप के दौरान खुद का बचाव करने का तरीका बताया गया। साथ ही उन्हें दूसरों की मदद करने के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। साथ ही भूकंप के दौरान क्या-क्या सावधानिया बरती जाएं, इसके बारे में बताया गया।

मॉक ड्रिल के दौरान खामियां सामने आई

 भगवान न करे कि राजधानी पर कभी कोई आपदा आन पड़े, क्योंकि आपदा आ गई तो न जाने कितनी जानें चली जाएंगी। कम से कम, मंगलवार को सरकार की ओर से आयोजित मेगा मॉक ड्रिल में यही भयावह तस्वीर दिखाई दी।

आपदा के समय सरकारी एजेंसियों की तैयारियों का जायजा लेने के लिए आयोजित मॉक ड्रिल में कई खामियां नजर आई। मॉक ड्रिल में शामिल घायल कराहते रहे, लेकिन एम्बुलेंस मौके पर नहीं पहुंची। कुछ घायलों को ऑटो रिक्शा में डालकर अस्पतालों तक ले जाया गया। अस्पतालों में डॉक्टर भी तत्पर नजर नहीं आए।

दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के अध्यक्ष धर्मपाल ने स्वीकार किया कि मॉक ड्रिल के दौरान खामियां सामने आई है। बुधवार को इसकी विस्तृत समीक्षा की जाएगी।
मेगा ड्रिल का प्रचार चाहे जितना किया गया, लेकिन इसका आयोजन प्रभावशाली नहीं रहा। कहीं घायल स्ट्रेचर पर हंस रहे थे, तो कहीं एंबुलेंस में ही बैठे थे। एक-दो जगहों पर मरीजों में घबराहट व विभागों में तत्परता तो दिखी, लेकिन वह इतनी नहीं कि हकीकत जैसी स्थिति पैदा कर सके। क्योंकि घायल मॉक ड्रिल से पहले ही मरहम-पट्टी लगाकर बैठे थे।

हद तो तब हो गई जब इन घायलों को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया गया, वहां डॉक्टरों की टीम ने इन्हें अटेंड तो किया, लेकिन उनके चेहरे पर वह तत्परता नहीं थी, जो बम ब्लास्ट, शॉट सर्किट या अन्य किसी आपदा में घायल मरीजों के इलाज में दिखती है। दिल्ली उच्च न्यायालय के गेट पर हुए ब्लास्ट के वक्त जब राममनोहर लोहिया अस्पताल में एक साथ 70 घायल पहुंचे थे तो अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई थी।

नजफगढ़ में मॉक ड्रिल शामिल घायलों को ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं पहुंची तो कुछ देर इंतजार के बाद उन्हें ऑटो से राव तुला राम अस्पताल ले जाया गया।

मॉक ड्रिल के लिए तैयारियां पिछले तीन महीने से चल रही थी। कुल 16 जगहों पर वर्कशॉप आयोजित कर 600 डॉक्टरों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया गया था। साथ ही मेगा मॉक ड्रिल से एक दिन पहले यमुना स्पो‌र्ट्स कांप्लेक्स में अमेरिकी विशेषज्ञों की टीम के साथ बैठक भी आयोजित की गई थी, ताकि अगले वर्ष 15 फरवरी को आयोजित होने जा रही पंजाब, हरियाणा व हिमाचल प्रदेश की संयुक्त मेगा मॉक ड्रिल से एक कदम आगे निकला जा सके, लेकिन इस मेगा मॉक ड्रिल को बजट खपाने से ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता। कई जगहों पर इसकी सूचना पहले से लोगों को थी, यही वजह थी कि राजौरी गार्डन में आयोजित मॉक ड्रिल में वॉलेंटियर पहले से मरहम पट्टी लगाकर बैठे थे तो अलीपुर के राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल में बच्चे उछल-कूद मचाते हुए बाहर निकले। मयूर विहार के सीएनजी फीलिंग पंप पर तो लोग समझ ही नहीं पाए कि आखिर हो क्या रहा है।


मियांवाली नगर के ज्वाला पुरी में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की ओर से मॉकड्रिल

मियांवाली नगर के ज्वाला पुरी में जिला प्रशासन एवं जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण डीडीएमए की ओर मॉकड्रिल का आयोजन किया गया। इस दौरान यहां तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों को भूकंप आदि जैसी आपदा के दौरान आने वाली चुनौतियों से निपटने के तरीके बताये और समझाये गये। यहां जिला प्रशासन के अधिकारी एवं डीडीएमए के अधिकारियों व टीम की मौजूदगी रही। यहां आपदा प्रबंधन के सभी कर्मियों ने भूकंप आने पर उत्पन्न विपरीत स्थिति से निपटने, सही समय पर पीड़ितों को अस्पताल पहुंचाने समेत आवश्यक सेवाएं उपलब्ध कराने का अभ्यास किया गया। मॉकड्रिल में जिला राजस्व विभाग, दिल्ली सरकार की ओर से एसडीएम पंजाबी बाग, तहसीलदार नांगलोई, तहसीलदार मुंडका व डीडीएमए पश्चिमी व पश्चिमी दिल्ली प्रोजेक्ट समन्वयक भावना ¨सह मौजूद रही।
अधिकारियों ने बताया कि आपदा के दौरान भगदड़ नहीं मचानी चाहिए, बल्कि धैर्य से काम लेना चाहिए। यहां नाट्य रूप में भूकंप आने की सूचना दी गई, जिसमें सभी को बताया गया कि मियांवाली नगर के ज्वाला पुरी में भूकंप के चलते इमारत जर्जर हो गई है। इसके अलावा एक मकान की छत और दीवार का कुछ हिस्सा गिर गया है। इसमें इमारत की पहली व दूसरी मंजिल को काफी क्षति पहुंची है। इसमें एक व्यक्ति की मौत और छह लोगों के घायल होने की सूचना मिली। ऐसे में सूचना मिलते ही घायलों को कैट्स एंबुलेंस एवं पीसीआर की मदद से नजदीकी अस्पताल में पहुंचाया गया। यहां जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारी व कर्मचारियों ने बिना किसी देरी के तेजी से बचाव एवं राहत कार्य शुरू कराया। यह आयोजन डीडीएमए पश्चिमी जिला एवं रिहायशी वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से कराया गया।
इस मौके पर एसडीएम अजित ने बताया कि जून माह में जिले में विभिन्न सार्वजनिक जगहों पर मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा। इसमें लोगों की भी भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। वहीं, आपदा प्रबंधन के जिला परियोजना समन्वयक हर्षद ने बताया कि इस अभियान का मकसद यह है कि आपदा की स्थिति में पुलिस, फायर सर्विस, कैट्स एंबुलेंस आदि की सेवा पीड़ितों को समय पर मिल सके, इसका अभ्यास करना है। इस मौके पर पीसीआर कर्मी, यातायात पुलिस, BSES की टीमों ने भी सहयोग किया। वहीं आपदा प्रबंधन की परियोजना अधिकारी मोहित शर्मा ने भूकंप आदि की स्थिति में बचाव के बारे में जानकारी देकर उन्हें जागरूक भी किया।