भगवान न करे कि राजधानी पर कभी कोई आपदा आन पड़े, क्योंकि आपदा आ गई तो न जाने कितनी जानें चली
जाएंगी। कम से कम, मंगलवार को सरकार
की ओर से आयोजित मेगा मॉक ड्रिल में यही भयावह तस्वीर दिखाई दी।
आपदा के समय
सरकारी एजेंसियों की तैयारियों का जायजा लेने के लिए आयोजित मॉक ड्रिल में कई
खामियां नजर आई। मॉक ड्रिल में शामिल घायल कराहते रहे, लेकिन एम्बुलेंस मौके पर नहीं पहुंची। कुछ घायलों को ऑटो रिक्शा में डालकर
अस्पतालों तक ले जाया गया। अस्पतालों में डॉक्टर भी तत्पर नजर नहीं आए।
दिल्ली आपदा
प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के अध्यक्ष धर्मपाल ने स्वीकार किया कि मॉक ड्रिल के
दौरान खामियां सामने आई है। बुधवार को इसकी विस्तृत समीक्षा की जाएगी।
मेगा ड्रिल का
प्रचार चाहे जितना किया गया, लेकिन इसका आयोजन
प्रभावशाली नहीं रहा। कहीं घायल स्ट्रेचर पर हंस रहे थे, तो कहीं एंबुलेंस में ही बैठे थे। एक-दो जगहों पर मरीजों
में घबराहट व विभागों में तत्परता तो दिखी, लेकिन वह इतनी नहीं कि हकीकत जैसी स्थिति पैदा कर सके।
क्योंकि घायल मॉक ड्रिल से पहले ही मरहम-पट्टी लगाकर बैठे थे।
हद तो तब हो गई
जब इन घायलों को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया गया, वहां डॉक्टरों की टीम ने इन्हें अटेंड तो किया, लेकिन उनके चेहरे पर वह तत्परता नहीं थी,
जो बम ब्लास्ट, शॉट सर्किट या अन्य किसी आपदा में घायल मरीजों के इलाज में
दिखती है। दिल्ली उच्च न्यायालय के गेट पर हुए ब्लास्ट के वक्त जब राममनोहर लोहिया
अस्पताल में एक साथ 70 घायल पहुंचे थे
तो अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई थी।
नजफगढ़ में मॉक
ड्रिल शामिल घायलों को ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं पहुंची तो कुछ देर इंतजार के
बाद उन्हें ऑटो से राव तुला राम अस्पताल ले जाया गया।
मॉक ड्रिल के लिए
तैयारियां पिछले तीन महीने से चल रही थी। कुल 16 जगहों पर वर्कशॉप आयोजित कर 600 डॉक्टरों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया गया था। साथ ही मेगा
मॉक ड्रिल से एक दिन पहले यमुना स्पोर्ट्स कांप्लेक्स में अमेरिकी विशेषज्ञों की
टीम के साथ बैठक भी आयोजित की गई थी, ताकि अगले वर्ष 15 फरवरी को आयोजित
होने जा रही पंजाब, हरियाणा व हिमाचल
प्रदेश की संयुक्त मेगा मॉक ड्रिल से एक कदम आगे निकला जा सके, लेकिन इस मेगा मॉक ड्रिल को बजट खपाने से
ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता। कई जगहों पर इसकी सूचना पहले से लोगों को थी,
यही वजह थी कि राजौरी गार्डन में आयोजित मॉक
ड्रिल में वॉलेंटियर पहले से मरहम पट्टी लगाकर बैठे थे तो अलीपुर के राजकीय सीनियर
सेकेंडरी स्कूल में बच्चे उछल-कूद मचाते हुए बाहर निकले। मयूर विहार के सीएनजी
फीलिंग पंप पर तो लोग समझ ही नहीं पाए कि आखिर हो क्या रहा है।
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